दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा :
गोवर्धन पूजा आमतौर पर दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। लेकिन कभी-कभी तिथि के बढ़ने पर एक दो दिन आगे हो जाता है। पुराणों में कथा आती है कि श्री कृष्ण अपने साथियों के साथ चराते हुए गोवर्धन पर्वत पर पहुंचे।वहां उन्होंने देखा कि बहुत से लोग उत्सव माना रहे हैं।
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन गेहूँ, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से बने भोजन को पकाया जाता है और भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है।
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श्री कृष्ण ने उत्सुकतावश वहां के लोगों से पूछा तो गोपियों ने बताया कि इस दिन इन्द्रदेव की पूजा होती है। इन्द्रदेव की पूजा के फलस्वरूप भगवान प्रसन्न होकर वर्षा करते हैं जिससे खेतों में अन्न फूलते-फलते हैं।
मथुरा के लोग बड़े उत्साह और खुशी के साथ इस त्यौहार को मनाते :
गोकुल और मथुरा के लोग बड़े उत्साह और खुशी के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं। लोग गोर्वधन पर्वत का एक घेरा बनाते है, जिसे परिक्रमा के नाम से भी जाना जाता है और पूजा करते है।
लोग गाय के गोबर से गोर्वधन धारा जी के रुप में बनाते है और उसे भोजन और फूलों से सुसज्जित करके पूजा करते है। अन्नकूट का अर्थ है कि लोग विविध प्रकार के भोग बनाकर भगवान कृष्ण को अर्पित करते है। भगवान की मूर्ति को दूध में नहला कर और नये कपडों के साथ साथ नये गहने पहनाये जाते है। उसके बाद पारपंरिक प्रार्थना, भोग और आरती के साथ पूजा की जाती है।
यह पूरे भारत में भगवान कृष्ण के मन्दिरों को सजाकर और बहुत सारे कार्यक्रमों को आयोजित करके मनाया जाता है और पूजा के बाद भोजन लोगो के बीच में बाँट दिया जाता है। लोग प्रसाद लेकर और भगवान के पैर छूकर भगवान कृष्ण से आशीर्वाद लेते है।
गोवर्धन पूजा की तिथि और मुहूर्त :