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रतनगढ़ माता मंदिर में बनी थी शिवाजी को आजाद कराने की रणनीति 2

रतनगढ़ माता मंदिर में बनी थी शिवाजी को आजाद कराने की रणनीति

हिन्दू स्वाभिमान की रक्षा करने वाले व् मराठा साम्राज्य की पताका फहराने वाले महान राजा छत्रपति शिवाजी को एक बार औरंगजेब ने पुत्र समेत धोखे से बुलाकर बंदी बना लिया था। शिवाजी महाराज को आजाद कराने उनके गुरू समर्थ स्वामी रामदास और दादा कोण देव महाराष्ट्र से ग्वालियर के पास दतिया के रतनगढ़ माता मंदिर में आकर रहे।

shivaji maharaj

रतनगढ़ माता मंदिर में की थी गुरु रामदास ने साधना-

रतनगढ़ माता मंदिर में ही समर्थ रामदास और दादा कोण देव ने आध्यात्मिक साधना के साथ स्वामी रामदास ने छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके पुत्र को आजाद कराने के लिए कूटनीतिक तैयारियां भी इसी मंदिर में रहकर की थीं।
समर्थ गुरु स्वामी रामदास ने इस मंदिर में 6 महीने तक कठोर साधना की और शिवाजी महाराज को आगरा किले से छुड़ाने की रणनीति बनाई।  औरंगजेब को भेंट के तौर पर फलों की टोकरियां भिजवाई जाती थीं. रामदास ने इस चीज का फायदा उठाकर पहले तो अपने एक शिष्य को औरंगजेब का विश्वास जीतने के लिए कहा और जब ऐसा करने में वो सफल हुआ तो भेंट स्वरूप औरंगजेब के यहां फलों से भरी टोकरियां भिजवाई गईं जो ऊपर से ढकी हुई थी। जिसके तहत स्वामी रामदास के शिष्यों ने जेल में शिवाजी महाराज को भेंट करने फलों की टोकरियां भेजनी शुरू कर दीं।

कई दिनों की गहन जांच के बाद जब जेल के पहरेदारों को भरोसा हो गया तो एक बार बेहद बड़ी टोकरियों में फलों में छिपाकर कुछ हथियार भी शिवाजी और उनके पुत्र के लिए भेजे गए थे। अपने गुप्तचर से रामदास ने शिवाजी को योजना के बारे में पहले ही सूचना भिजवा दी थी

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शिवाजी महाराज ने भी पहले दिन से ही फलों की टोकरियों से कुछ फल लेकर बाकी फलों से भरी टोकरियां बाहर गरीबों में दान के लिए भेजना शुरू कर दी थीं।
उस दिन जब शिवाजी महाराज को उन टोकरियों में हथियार मिले तो वह  संकेत समझ गए और उन बड़ी टोकरियों में अपने साथ अपने पुत्र को बिठा कर गरीबों में फल बांटने के बहाने स्वामी रामदास के शिष्यों को भिजवा दीं। स्वामी रामदास के शिष्य उन टोकरियों के वजन से सारा मामला समझ गए और शिवाजी महाराज को उनके पुत्र  के साथ आगरा से पार कर ग्वालियर भेज दिया गया। उसके बाद शिवाजी महाराज अपने पुत्र के साथ समर्थ गुरु स्वामी रामदास के पास दतिया पहुंच गए।

guru ramdas

रतनगढ़ माता मंदिर का करवाया शिवाजी ने जीर्णोद्धार-

छत्रपति शिवाजी महाराज ने रतनगढ़ माता मंदिर पहुचकर अनुष्ठान कर माता को घंटा चढ़ाया एवं उसके बाद मंदिर का जीर्णोद्धार भी करवाया।
शिवाजी महाराज के घंटा चढाने के बाद से मंदिर में घंटा चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत हो गई, और श्रद्धालु़ मनोकामना पूर्ति के लिए यहां पीतल का घंटा चढ़ाने लगे। नवरात्रि के दिनों में श्रदालुओं द्वारा मंदिर में कई टन में घण्टे चढ़ जाते हैं।

ratanghadh mata

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