कैसे हम अपनी संस्कृति भुलाते हुए पश्चिमी देशों के रंग में रंगते जा रहे:
भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है जो लगभग 5,000 हजार वर्ष पुरानी है। विश्व की पहली और महान संस्कृति के रुप में भारतीय संस्कृति को माना जाता है। “विविधता में एकता” का कथन यहाँ पर आम है अर्थात् भारत एक विविधतापूर्ण देश है।
जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा के साथ शांतिपूर्णं तरीके से एक साथ रहते हैं। विभिन्न धर्मों के लोगों की अपनी भाषा, खाने की आदत, रीति-रिवाज़ आदि अलग हैं फिर भी वो एकता के साथ रहते हैं।
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लेकिन हम अपनी संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को भुलाते हुए पश्चिमी देशों के रंग में रंगते जा रहे हैं।
खान-पान, पहनावा और भाषा तक बदल डाली:
जबकि यहां के रीति-रिवाज और संस्कृति अब पश्चिमी देशों के लोग प्रभावित हो कर अपनाने लगे हैं। दुनिया अब इस बात को मानती है कि भारतीय संस्कृति प्रकृति के करीब है और बेहद वैज्ञानिक भी है।
अक्सर बड़े होटलों या फिर पार्टियों में चम्मच-छूरी से खाते हुए आपको अटपटा लगता होगा। या फिर खुद को ओवर स्मार्ट दिखाने के लिए हम में से ही कुछ लोग दिक्कतों के बावजूद ऐसा करते रहते हैं।
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हालांकि, गौर करने वाली बात ये है कि हमारे खान-पान हाथ से ही खाने वाले होते हैं। सभी खाद्यों को चम्मच और छूरी-कांटे से खाना संभव भी नहीं है।
विदेशों में हाथ से खाना खाने को बढ़ावा:
अब विदेशों में लोग हाथ से खाने को बढ़ावा दे रहे हैं। उनका तर्क है कि ये सेहत के लिए फायदेमंद होता है। बता दें कि न्यूयॉर्क, कैंब्रिज, सेन फ्रैंसिसको के कुछ रेस्त्रां लोगों को हाथ से खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
दरअसल, हाथ की ऊंगलियों और हथेलियों में पाए जाने वाले कुछ जीवाणु खाना पचाने में मदद करते हैं।
सिर्फ़ भारत में ही नहीं अफ़्रीकी और मिडल ईस्ट संस्कृतियों में भी हाथ से खाने का रिवाज है। अब आप नक़ल करने की बजाय अपने कम्फर्ट को अहमियत दे सकते हैं। हाथ से खाने पर संतुष्टि की भावना बढ़ती है।