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नियमित दौड़ लगाने से आपके दिमाग की कार्यक्षमता में होता है इजाफा 2

नियमित दौड़ लगाने से आपके दिमाग की कार्यक्षमता में होता है इजाफा

सेहत के लिए दौड़ के फायदों से तो आप वाकिफ ही होंगे। सेहतमंद जिंदगी के करीब ले जाती है दौड़। दौड़ने से पूरे शरीर की कसरत होती है। दिल बेहतर काम करता है। टांगों की मांसपेशियों को ताकत मिलती है और वजन कम करने में भी दौड़ मददगार होती है। साथ ही रक्‍तचाप नियंत्रित रहता है और कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर भी कम होता है। और भी तमाम फायदे हैं जिन्‍हें दौड़ के जरिये हासिल किया जा सकता है। लेकिन, क्‍या आप जानते हैं कि दौड़ हमारे मस्तिष्‍क की कार्यक्षमता में बढ़ोतरी करती है।

वर्ष 2010 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने दौड़ के मस्तिष्‍क पर पड़ने वाले सकारात्‍मक प्रभावों पर शोध किया था। इस शोध में दौड़ने के चौंकाने वाले लाभ सामने आये थे। इसमें बताया गया था कि दौड़ से मस्तिष्‍क में नये क्रियाशील पदार्थों का निर्माण होता है और इससे मानसिक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है।

दिमागी कसरत से भी अधिक फायदेमंद

दौड़ने से हमारा दिल और फेफड़े बेहतर काम करते हैं। एक महत्त्‍वपूर्ण शोध ने दौड़ने और जवां मस्तिष्‍क के बीच की कड़ी ढूंढ निकाली है। इसमें कहा गया है कि कड़े कार्डियोवस्‍कुलकर व्‍यायाम करने से रक्‍त में अधिक मात्रा में ऑक्‍सीजन और ग्‍लूकोज पहुंचता है। जब आप लंबे समय तक दौड़ते हैं, तो आपको इसके दूरगामी लाभ प्राप्‍त होते हैं। सभी प्रकार के व्‍यायाम आपके दिमाग में अधिक ऊर्जा का निर्माण करते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि एरोबिक्‍स से जुड़े व्‍यायाम दिमागी कसरत से अधिक लाभकारी होते हैं।

याद्दाश्‍त के लिए फायदेमंद

यून‍िवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड के एसिस्‍टेंट प्रोफेसर डॉक्‍टर जे. कारसन स्मिथ के मुताबिक दौड़ने से मस्तिष्‍क में नयी कोशिकाओं और रक्‍तवाहिनियों का निर्माण होता है। अगर आप नियमित रूप से दौड़ लगाते हैं, तो उम्र बढ़ने के साथ भी आपके मस्तिष्‍क की कार्यक्षमता आला दर्जे की बनी रहेगी। दौड़ने से मस्तिष्‍क में बनने वाली नयी कोशिकायें और रक्‍तवाहिनियां हर उम्र में आपकी याद्दाश्‍त को अच्‍छा बनाये रखने में मदद करती हैं।

हर उम्र में लाजवाब

प्रोसीडिंग्‍स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस (पीएनएएस) ने 2011 में एक शोध किया। इसमें देखा गया कि जिन बुजुर्गों ने अधिक उम्र में भी व्‍यायाम किया उनके मस्तिष्‍क के सीखने और याद्दाश्‍त सम्‍बन्‍धी हिस्‍से ने व्‍यायाम न करने वाले लोगों के मुकाबले दो फीसदी बेहतर काम किया। हो सकता है कि दो फीसदी का यह अंतर आपको तब तक बहुत ज्‍यादा न लगे जब तक आपको यह न पता चले कि व्‍यस्‍क होने के बाद हमारे दिमाग के इस हिस्‍से में जरा भी बढोतरी नहीं होती है। इसके अलावा दौड़ने से हम कई ऐसी कोशिकाओं को मरने से बचा सकते हैं, जो उम्र के साथ-साथ दम तोड़ देती हैं।

जुबां पर आकर नहीं अटकेंगे शब्‍द

एरोबिकली एक्टिव रहने से न केवल आपकी याद्दाश्‍त अच्‍छी रहती है, बल्कि आप सही समय पर उन्‍हें ‘रिकॉल’ भी कर सकते हैं। अल्‍जाइमर की प्रारंभिक अवस्‍था के मरीजों पर किये गये एक शोध में पाया गया कि जो लोग व्‍यायाम करते हैं उन्‍हें मशहूर हस्तियों के नाम याद रखने में आसानी होती है। मस्तिष्‍क के स्‍कैन से यह बात भी साफ हो चुकी है कि दिमाग का याद्दाश्‍त संबंधी चीजों को नियंत्रित करने वाला हिस्‍सा दौड़ने से अधिक सक्रिय रहता है। दौड़ने से उस क्षेत्र में संकेतों का आवागमन के स्‍तर में सुधार होता है। इसका अर्थ यह है कि आप अपने मस्तिष्‍क में संचयित जानकारी तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

सकारात्‍मकता बनाए रखती है दौड़

तनाव को दूर करने में भी दौड़ना काफी लाभकारी होता है। शोध में यह भी प्रम‍ाणित हो चुका है कि दौड़ना तनाव की दवाओं के मुकाबले अधिक फायदेमंद होता है। तनाव का इलाज करने वाली दवाएं आपका व्‍यवहार और विचार भी सकारात्‍मक बनाए रखने में मदद करती हैं। और दौड़ने से भी इसी तरह के लाभ मिलते हैं। दौड़ने से तनावग्रस्‍त लोगों को इससे बाहर निकलने में काफी मदद मिलती है।

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