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अगर आपका शिशु हो रहा है कमजोर, तो हो सकते हैं ये कारण.... 2

अगर आपका शिशु हो रहा है कमजोर, तो हो सकते हैं ये कारण….

शिशु स्वस्थ रहे इसके लिए वो उसे क्या पौष्टिक आहार दें :

हर मां चाहती है कि उसका शिशु स्वस्थ रहे इसके लिए वो उसे पौष्टिक आहार देती है और उसकी हर जरूरत का खयाल रखती है। फिर भी कई बार कुछ सामान्य समस्याओं के कारण शिशुओं का वजन अपेक्षाकृत नहीं बढ़ पाता है या कम बढ़ पाता है। मां अपने बच्चे को लेकर ज्यादा भावुक होती है इसलिए उसे ये बात परेशान कर सकती है। मगर वजन का धीरे-धीरे बढ़ना या रुक-रुक कर बढ़ना कई कारणों से हो सकता है।

अगर आपका शिशु हो रहा है कमजोर, तो हो सकते हैं ये कारण.... 3

कई बार कुछ बच्चों का विकास लगातार न होकर रुक-रुक कर होता है इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। अगर आपको वजन में ज्यादा कमी नजर आती है या बच्चे में किसी बीमारी के भी लक्षण दिख रहे हैं, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। यह चिकित्‍सीय और पर्यावरणीय कारणों के मेल अथवा किसी एक के कारण होने वाली समस्‍या है। इसके कारण बच्‍चा पर्याप्‍त मात्रा में कैलोरी का उपयोग नहीं कर पाता।

क्या आप जानते हैं? की एक नवजात बच्चे का वजन जन्म के समय कितना होना चाहिए। डिलीवरी के समय नवजात बच्चे का वजन 2.5 kg से 4 kg के लगभग सही माना जाता है। अगर जन्म के समय बच्चे का वजन 2.5 kg से कम वजन का होता है तो इसका मतलब शिशु कमजोर है और उसे देखभाल की आवश्यकता है।

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ज्यादातर प्री-मेच्योर बच्चे (premature child) में वजन कम होता है। ऐसे में माँ-बाप का चिंतित होना लाजमी है। मगर कुछ बातों का ख्याल रखा जाये तो आप को चिंता की आवश्यकता नहीं।

अगर आप के बच्चे का वजन 2.5 kg से कम है तो अपने डॉक्टर से संपर्क बनाये रखें। आप हर यथा संभव कोशिश करें की आप का बच्चा बीमार न पड़े। जिन बच्चों का वजन जन्म के समय 2 kg से कम होता है उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।

याद रखिए, बच्‍चे के मानसिक और शारीरिक विकास में शुरुआती तीन वर्ष अहम होते हैं। इस दौरान उसे पर्याप्‍त पोषण दिया जाना जरूरी है। अगर आपके बच्‍चे का वजन जरूरी मानक से 20 फीसदी या उससे अधिक कम है, तो यह चिंता का विषय है। हो सकता है कि डॉक्‍टर बच्‍चे की स्‍‍थूल, रक्‍त व अन्‍य जांच करना जरूरी समझे। डॉक्‍टर इस बात की भी जांच करेगा कि कहीं बच्‍चे को खाने या निगलने में तो परेशानी नहीं हो रही। कई बार समस्‍या का हल आसानी से हो जाता है और कई बार यह गंभीर भी हो सकती है।

क्या हो सकते हैं कारण

इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। डॉक्‍टर कई बार टेस्‍ट और उनका आंकलन करने में महीनों गुजार सकता है। इसमें वह बच्‍चे के आहार, स्‍वास्‍थ्‍य इतिहास, शारीरिक क्रियाशीलता के अलावा अन्‍य सभी सम्‍भावित कारणों के मद्देनजर समस्‍या के मूल तक पहुंचने का प्रयास करता है। बच्‍चे का वजन सही प्रकार से न बढ़ने का कारण उसे पर्याप्‍त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाना हो सकता है।

कम वजन नवजात बच्चों में क्योँ होती है मृत्यु?

इसके दो कारण है। जन्म के समय जिस प्री-मेच्योर शिशु का वजन कम होता है उनके फेफड़े सही तरीके से विकसित नहीं होते है। इस वजह से इन बच्चों को साँस लेने में और दूध पीने (स्तनपान) में भी दिक्कत हो सकती है। प्री-मेच्योर बच्चों में इन्फेक्शन यानि संक्रमण का भी बहुत खतरा रहता है।

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साथ ही साथ इन बच्चों में पेट से जुड़ी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है क्योँकि इनका पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता है। यह भी एक कारण है की जन्म के बाद इनका वजन उतना नहीं बढ़ता है जितना की बाकि बच्चों का बढ़ता है।

कम वजन – प्री-मेच्योर शिशु का वजन इस तरह बढ़ाएं

जन्म के बाद बच्चे को माँ के संपर्क में रखें। माँ की त्वचा के संपर्क में रहने से बच्चे के शरीर का तापमान नियंत्रित रहेगा।

मौसम के अनुसार बच्चे को कपडे पहनाये। ठण्ड में बच्चे को अच्छी तरह ढक के रखें। बच्चे को ऊनि कपडे पहनाये। गर्मियों में बच्चे को सूती कपडे पहनाये।

गर्मियों में बच्चे को ऐसे कमरे में रखें जो बाकि कमरों के मुकाबले ठंडा हो।

ठण्ड में बच्चे को ऐसे कमरे में रखें जो बाकि कमरों से गर्म हो। कमरे की खिड़कियों को बंद रखें ताकि बहार से ठण्ड हवा अंदर न आये।

बिना डॉक्टर से पूछे बच्चे को नेहलाये नहीं। जब तक आप का बच्चा एक साल का न हो जाये या फिर उसका वजन सामान्य बच्चों के जितना न हो जाये, उसे नहलाएं नहीं। क्योँकि आप का बच्चा खुद से अपना शारीरिक तापमान नियंत्रित करने में अभी असमर्थ है। और इस अवस्था मैं बच्चे को नहलाना हानिकारक हो सकता है। सप्ताह में एक बार, बच्चे को रुई के पोहे से या साफ सूती कपडे को भीगा कर उससे बच्चे के शरीर को पोछ कर साफ करें।

बच्चे के शरीर को हर समय ढक कर रखें

बच्चे को एक पल के लिए भी बिना कपडे के ना रखें।

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