रमेश कुमार की प्रेम और त्याग की कहानी वास्तविकता के साथ जुड़ी हुई है और यह दिखता है कि कभी-कभी किसी की अच्छाई का सही मूल्य नहीं मिल पाता है। वह अपनी पत्नी की शिक्षा के लिए एक बड़े लोन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उसकी पत्नी ने उसके साथ वफादारी नहीं दिखाई और प्रेमी के लिए पति को छोड़ा।
रमेश कुमार का पत्नी के साथ विवाह 2010 में हुआ था। उस समय वह एक किसान थे और उनकी पत्नी एक स्कूल ड्रॉपआउट थी। उन्होंने उसकी इच्छा को पूरा करने के लिए उसे अफसर बनाने के लिए पैसे का लोन लिया, जिसके लिए उन्होंने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मदद मांगी। उन्होंने अपनी ज़मीन बेचकर और अपने घर को मोर्टगेज़ करके उसकी शिक्षा का समर्थन किया।
उनके प्रयासों का परिणामस्वरूप, जब उनकी पत्नी ने 2017 में राज्य सरकार की सेवा आयोग की परीक्षा को पास किया और राज्य सरकार में अफसर बन गई। वह भोपाल, मध्य प्रदेश की राजधानी में पदस्थित हुई। हालांकि, जब वह वहां एक अन्य अफसर से मिली, जो उसके प्रेमी बन गए, तो स्थितियाँ बिगड़ गईं।
उसने अपने पति को ध्यान देना बंद कर दिया और गाँव में उसके पास जाने से इनकार कर दिया। उसने उसको लोन चुकता करने के लिए पैसे भेजना भी बंद कर दिया। जब रमेश ने उससे मुख मुखिकरण किया, तो उसने उससे तलाक चाहिए और उसके पास किसी अन्य के प्रति प्यार का इज़हार किया। उसने उसे धर्मिक हिंसा के खिलाफ झूठा मामला दर्ज करने की धमकी दी, अगर वह मान नहीं मानते हैं।
रमेश अपनी पत्नी की धोखाधड़ी और शोषण का आरोप पुलिस और महिला आयोग में दर्ज कर दिया। उसने उससे मांग की कि वह उसकी शिक्षा पर खर्च किए पैसे वापस करें। पुलिस और महिला आयोग मामले की जाँच कर रहे हैं और इसे सशक्त रूप से सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। रमेश की आशा है कि न्याय होगा और उसे उसके पैसे वापस मिलेंगे। वह यह भी आशा करते हैं कि उसकी पत्नी अपनी गलती को समझेगी और उसके पास वापस आएगी।
हालांकि, यह दिखता है कि उसकी पत्नी अपना फैसला बदलने की संभावना कम है, क्योंकि उसका वर्तमान जीवन उसके प्रेमी के साथ भोपाल में खुशी से बित रही है। उसने एक अन्य जिले में स्थानांतरण के लिए आवेदन भी किया है, जहाँ वह नए जीवन की शुरुआत कर सकती है।
यह एक दुखद कहानी है जिसमें एक पुरुष का प्रेम और त्याग बेकार जा रहा है। उसने अपनी पत्नी को जो कुछ भी था, वह सब कुछ दिया, लेकिन उसने उसको दर्द ही दिया। उसकी पत्नी की लोभ और विश्वासघातिता का विकल्प वही बन गया है।
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