बंगाल में 36 साल पहले 17 आनंद मार्गी साधुओं को जिन्दा जलाकर मार दिया गया था. 30 अप्रैल 1982 को देशभर से साधू आनंदमार्गी एक ‘एजुकेशनल कॉन्फ्रेंस’ के लिए तिलजला केंद्र पर जा रहे थे. टैक्सी में वे दक्षिणी कोलकाता के बैलीगंग क्षेत्र के बिजन सेतु से होकर जा रहे थे. तभी साधुओं के ऊपर पेट्रोल, केरोसिन डालकर आग लगा दी गई. घटना में 17 आनंद मार्गी मारे गए, जबकि कई घायल हो गए.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, घटना से पहले स्थानीय लोगों के बीच ऐसी चर्चा हुई थी कि आनंद मार्गी बच्चों को किडनैप कर रहे हैं और उन्हें बेच दे रहे हैं. सीपीएम ने तब कहा था कि आनंद मार्गी के द्वारा ही घटना को अंजाम दिया गया, ताकि सरकार की छवि खराब की जा सके.
तब राज्य सरकार ने जांच कमिशन बनाया था, लेकिन उसने एक भी सुनवाई नहीं की. बाद में कोई एक्शन नहीं लिया गया. तब के मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने यह भी कहा था- ‘क्या किया जा सकता है? ऐसी चीजें हो जाती हैं.’ राज्य सरकार की सीआईडी जांच में भी कुछ निकलकर सामने नहीं आया. इधर, ममता बनर्जी की सरकार आने पर 2013 में जस्टिस अमिताव लाल न्यायिक आयोग की नियुक्ति भी की गई थी जो घटना की जांच कर सके.
क्या सीपीएम आनंद मार्ग के खिलाफ थे? वैचारिक तौर पर कम्युनिस्ट आनंद मार्ग के विरोधी थे. 80 के दशक का सीपीएम आनंद मार्गी की गतिविधियों को काफी संदेह से देखता था.
पहला अटैक पुरुलिया में 1967 में उनके हेडक्वार्टर पर हुआ था, जिसमें 5 आनंद मार्गी मारे, आरोप सीपीएम कैडर पर लगा था.
क्या है आनंद मार्ग?
यह एक स्प्रिचुअल-धार्मिक समूह है. इसके संस्थापक प्रभात रंजन सरकार थे. उन्होंने 1959 में प्रोग्रेसिव यूटिलाइजेशन थ्योरी दी थी जो कम्युनिज्म और कैप्टलिज्म, दोनों के विरोध में था. इसका उद्देश्य ‘सामाजिक आर्थिक लोकतंत्र’ लाना था. ये सभी तस्वीरें उसी घटना की याद में निकाली गई रैली की हैं.
Source: Aaj Tak