विजयादशमी भगवान श्री राम की विजय के रूप में मनाया जाए या दुर्गा पूजा, दोनों ही रूपों में यह शक्ति पूजा अराधना का उत्सव रहा है।दशहरा अश्विन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर महीने के दौरान आता है।इस पर्व को भारत में बहुत ही उत्साह के साथ से मनाया जाता है।
14 वर्ष के वनवास में रावण द्वारा सीता का हरण कर लिया गया था। मां सीता को बचाने के लिए और अधर्मी रावण का नाश करने के लिए भगवान राम ने रावण के साथ कई दिनों तक युद्ध किया।शारदीय नवरात्रों के दिनों भगवान राम ने शक्ति की देवी दुर्गा की अराधना लगातार नौ दिनों तक की इसके बाद उन्हें मां दुर्गा का वरदान मिला।
इसके पश्चात मां दुर्गा के सहयोग से राम ने युद्ध के दसवें दिन रावण का वध कर उनके अत्याचारों से सभी को बचाया। इसी परम्परा को मानते हुए हर साल रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण को बुराई का प्रतीक मानकर इनके पुतले दशहरे के दिन जलाते हैं।
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बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य के विजय पर्व दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है.जो की आज के दिन मनाया जाना है।भारत के अतिरिक्त दशहरे को श्रीलंका और बांग्लादेश व अन्य देशों में रहने वाले धर्म के अनुयायी मनाते है।
हंसी ख़ुशी के इस पर्व पर शारदीय नवरात्र की स्थापना पर कलश और मूर्ति स्थापना का विसर्जन भी इसी दिन किया जाता है।सच में अगर दसवी तिथि को दस सिर के रावण को जलाना है तो काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी इन दस बुरी आदतों का सर्वप्रथम हमे त्याग करना होगा।.
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नवरात्रों के दौरान रामलीला का आयोजन होता है।जिसमे योग्य कलाकार राम, रावण, सीता, लक्ष्मण आदि रूप धारण कर मंचन करते है। दशहरे के दिन लकड़ी और काग़ज जिनमे पटाखो से भरे रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतलों को तीर से मारकर जलाया जाता है।
कुछ मिनटों तक यह पुतला जलता हुआ पटाखों की गूंज के साथ धरा पर गिर पड़ता है।लोग जय सिया राम के जयकारे करते हुए एक दुसरे को मिठाई से मुँह मीठा करवाकर दशहरे की बधाई देते है।