विज्ञान अभी तक सृष्टि की सही आयु की गणना नहीं कर सका है| पर हिन्दू ग्रंथों में सृष्टि की बिल्कुल सटीक आयु बताई गयी है| हमारे ऋषियों ने ओनी तपस्या से दुनिया के सारे रहस्य जान लिए थे| चैत्र शुक्ल प्रतिपदा या नवरात्र स्थापना या नव सम्वत्सर केवल हिन्दुओं का नया वर्ष नहीं है यह तो सारी सृष्टि का नया वर्ष है| आज हम आपको वैदिक गणना करके बताएँगे कि नव सम्वत्सर पर सृष्टि कितने वर्ष की हो गई…
सृष्टि की आयु गणना
एक सृष्टि की आयु वेद में 1000 चतुर्युगी (महायुग) बताई है। एक चतुर्युगी मतलब होता है 4 युग। 71 चतुर्युगी से एक मन्वन्तर बनता है। 1000 चतुर्युगी तक सृष्टि रहती है उसे ब्रह्मदिन कहते हैं| और उतने ही समय तक प्रलय अवस्था में सृष्टि भगवान में समाई रहती है, उसे ब्रह्मरात्रि कहते हैं|
एक सृष्टि काल में कुल 14 मन्वन्तर होते हैं। इस सृष्टि के 6 मन्वन्तर बीत चुके, यह 7 वां वैवस्वत मन्वन्तर चल रहा है| वैवस्वत मन्वन्तर की 71 चतुर्युगी में से ये 28वीं चतुर्युगी है।
14 मन्वन्तर और उनकी 71-71 चतुर्युगियों के हिसाब से एक सृष्टि में 14 x 71 = 994 चतुर्युगियां हुईं, पर सृष्टि की आयु 1000 चतुर्युगी है, इसका रहस्य यह है कि किसी भी वस्तु की रचना में समय लगता है, जैसे दिन से रात की रचना में शाम का समय लगता है उसे सन्धि कहते हैं। तो यह बची हुईं 6 चतुर्युगी प्रलय और सृष्टि का सन्धिकाल है, इस काल में ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना होती है| ब्रह्म में पूर्व से अप्रकट सृष्टि का प्राकट्य होता है। इस 6 चतुर्युगी के समय के बाद परमात्मा अपने वेद ज्ञान को प्रकट करते हैं।
1 मन्वन्तर = 71 चतुर्युगी
14 मन्वन्तर = 994 चतुर्युगी = मानवसृष्टि की आयु
तो आज सृष्टि की आयु हुई :-
= 6 मन्वन्तरों की 71-71 चतुर्युगी + इस मन्वन्तर की 27 चतुर्युगी + इस चतुर्युगी के सतयुग, त्रेता और द्वापर युग + इस कलियुग के 5118 वर्ष
= (6×71 + 27) चतुर्युगी + सतयुग+ त्रेतायुग + द्वापरयुग + 5117 वर्ष.
सत्युग = 1728000 वर्ष
त्रेतायुग = 1296000 वर्ष
द्वापरयुग = 864000 वर्ष
कलियुग = 432000 वर्ष
चतुर्युगी = सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 4320000 वर्ष
= 453 x 4320000 + 1728000 + 1296000 + 864000 + 5117
= 1960853117 वर्ष
अर्थात नव सम्वत्सर पर मानव सृष्टि के 1960853117 वर्ष बीत चुके हैं और 1960853118 वां वर्ष शुरू हुआ है | आप सभी को नव सम्वत्सर और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं…