हर्रैया इलाके के जगदीशपुर गांव के पास मनोरमा नदी पर बना लोहे का पुल पिछले तीन साल से टूट कर नदी में अटका हुआ है। यहां पुल बनाना जगदीशपुर गांव के लोगों का सपना था और बिना किसी सरकारी मदद के गांववालों ने इसे चंदा जुटाकर बनवाया था। पुल बनाने में किसी ने अपनी एक से दो महीने की तनख्वाह दी, तो बुजुर्गों ने पेंशन दी। जो लोग आर्थिक सहयोग नही कर पाए, उन्होंने शारीरिक मेहनत की।
जगदीशपुर गांव के नान्हू सिंह बताते हैं कि जब सरकारी मदद नही मिली तो गांववालों ने मिलकर 8 साल पहले लोहे का पुल बनवाया था, लेकिन अब पुल टूट जाने से वही परेशानियां फिर से सामने आकर खड़ी हो गई हैं। बच्चों को स्कूल जाने के लिए ज्यादा सफर करना पड़ता है। इस वजह से कई बच्चियों ने स्कूल जाना भी छोड़ दिया है। पुल नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों और बीमारों को होती है।
नेता, अधिकारी को दिखाएंगे काले झंडे ग्राम प्रधान विनोद सिंह कहते हैं कि पहले के मुकाबले अब पुल निर्माण की लागत कई गुना बढ़ गई है। इसलिए पूरे पैसे का इंतजाम करना आसान नहीं रहा। प्रधान ने कहा कि पिछले तीन साल से अधिकारियों से लेकर नेताओं से मिन्नतें कर रहा हूं, लेकिन पुल बनवाने पर किसी ने ध्यान नही दिया। अब गांवालों ने तय किया है कि कोई भी नेता या अधिकारी यहां दौरे पर आता है तो उसे काले झंडे दिखाकर विरोध जताएंगे।
सोशल मीडिया पर मांगी जा रही मदद पुल की मरम्मत के लिए सरकारी उम्मीद खो चुके गांववाले अब सोशल मीडिया पर भी मदद मांग रहे हैं। जगदीशपुर के रामशंकर सिंह ने कहा कि नौकरी-पेशा और व्यापारियों के अलावा बाहर कमाने गए लोगों से भी मदद मांगी जा रही है। यहां तक कि गांव के पढ़े-लिखे युवा फेसबुक, ट्विटर और वाट्स ऐप से भी पुल निर्माण के लिए सहयोग की अपील कर रहे हैं।
सीडीओ मार्कंडेय शाही ने कहा कि इस पुल के बारे में कोई जानकारी नही है। अगर मामला सामने आता है तो पुल की मरम्मत में गांववालों की मदद करने को तैयार है।
Source – NAVBHARAT TIMES