भारतीय वायु सेना के एकमात्र मार्शल अर्जन सिंह का शनिवार को निधन हो गया। उन्हें 2002 में मार्शल ऑफ एयर फोर्स की पदवी दी गई थी। भारतीय सेना में अब तक 3 मार्शल हुए हैं। भारतीय सेना में फाइव स्टार जनरल ऑफिसर की रैंक के लिए बनाए गए इस पद को हासिल करने वाले 2 मार्शल थल सेना में थे।
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मार्शल की पदवी से सबसे पहले भारतीय थल सेना के ऑफिसर को नवाजा गया था। थल सेना में इस पद को ‘फील्ड मार्शल’ कहा जाता है। 1971 में बांग्लादेश युद्ध में विजय प्राप्त करने वाले जनरल सैम मानेकशॉ को एक जनवरी 1973 में देश का पहला फील्ड मार्शल का पद दिया गया। 1914 में जन्मे मानेकशॉ भारतीय थल सेना के 8वें चीफ ऑफ स्टाफ थे लेकिन फील्ड मार्शल बनने वाले सेना के वह पहले अधिकारी थे।
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सैम मानेकशॉ के बाद 1986 में जनरल केएम करियप्पा को फील्ड मार्शल का पद दिया गया। 1899 में जन्मे जनरल करियप्पा 1947 में स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना के पहले कमांडर इन चीफ थे। यूं तो वह मानेकशॉ से काफी सीनियर थे लेकिन फील्ड मार्शल की पदवी उन्हें काफी बाद में मिली। यह पदवी मिलने के 6 साल बाद 1993 में उनका देहांत हो गया।
फील्ड मार्शल की तरह भारतीय वायु सेना में ‘मार्शल ऑफ एयर फोर्स’ का पद बनाया गया। 2002 में वायु सेना प्रमुख अर्जन सिंह यह पद हासिल करने वाले पहले और अब तक के एकलौते एयर फोर्स ऑफिसर बने। साल 2008 में मानेकशॉ की मृत्यु के बाद मार्शल पदवी प्राप्त वह एकलौते जीवित सैन्य अधिकारी थे लेकिन शनिवार को उनका भी निधन हो गया।
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अर्जन सिंह वायु सेना में एयर चीफ मार्शल बनने वाले पहले भी पहले अधिकारी थे। इससे पहले तक भारतीय वायु सेनाध्यक्ष का पद एयर मार्शल का हुआ करता था। एयर चीफ मार्शल के कंधे पर 4 स्टार लगाए जाते हैं जबकि मार्शल ऑफ एयर फोर्स के कंधे पर 5 स्टार लगते हैं। नौसेना में भी मार्शल के समकक्ष एक पद होता है- अडमिरल ऑफ फ्लीट, हालांकि भारतीय नौसेना में किसी भी अधिकारी को अब तक यह पद नहीं दिया गया है।