24 दिसंबर, 1924 को अमृतसर के पास कोटा सुल्तान सिंह में रफी का जन्म हुआ था। इस खास मौके पर गूगल ने रफी साहब पर डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। गूगल ने उनकी एक तस्वीर साझा की है। इसमें वह गाना रिकॉर्ड कराते हुए नजर आ रहे हैं।
रफ़ी साहब की जीवन यात्रा :
मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को अमृतसर में हुआ था। 1935 में रफी साहब के पिता अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए थे। वहां भट्टी गेट के नूर मोहल्ला में उन्होंने हजामत का काम शुरू किया। रफी के बड़े भाई के दोस्त अब्दुल हमीद ने रफी की प्रतिभा को पहचाना।
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रफ़ी जी के परिवार में अली मोहम्मद के छह बच्चों में रफी दूसरे नंबर पर थे। उन्हें घर में फीको कहा जाता था। गली में फकीर को गाते सुनकर रफी ने गाना शुरू किया। अब्दुल हमीद ने रफी के रिवार को मनाया कि वो रफी को बंबई जाने दें। यह 1942 की बात है।
आप को ये जानकर हैरानी होगी कि इतने बडे़ आवाज के जादूगर को संगीत की प्रेरणा एक फकीर से मिली थी। कहते हैं जब रफी छोटे थे तब इनके बड़े भाई की नाई दुकान थी, रफी का ज्यादातर वक्त वहीं पर गुजरता था। रफी जब सात साल के थे तो वे अपने बड़े भाई की दुकान से होकर गुजरने वाले एक फकीर का पीछा किया करते थे जो उधर से गाते हुए जाया करता था। उसकी आवाज रफी को अच्छी लगती थी और रफी उसकी नकल किया करते थे।
कई फिल्मों में किया काम :
मात्र 13 साल की उम्र में मोहम्मद रफी ने लाहौर में उस जमाने के मशहूर अभिनेता ‘के एल सहगल’ के गानों को गाकर पब्लिक परफॉर्मेंस दी थी। रफी साहब ने सबसे पहले लाहौर में पंजाबी फिल्म ‘गुल बलोच’ के लिए ‘सोनिये नी, हीरिये नी’ गाना गाया था।
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मोहम्मद रफी ने मुंबई आकर साल 1944 में पहली बार हिंदी फिल्म ‘गांव की गोरी’ के लिए गीत गाया था। मोहम्मद रफी को सब दयालु सिंगर कह कर पुकारते थे, क्योंकि वो गाने के लिए कभी भी फीस का जिक्र नहीं करते थे और कभी कभी तो 1 रुपये में भी गीत गा दिया करते थे।
रफ़ी जी का एक दिलचस्प किस्सा :
रफ़ी जी का दूसरों की मदद को लेकर उनका एक दिलचस्प किस्सा है। रफी किसी फर्जी नाम से पड़ोस की एक विधवा को पैसे भेजा करते थे। कई साल तक मनी ऑर्डर आया। जब मनी ऑर्डर आना बंद हुआ, तब वह महिला पोस्ट ऑफिस गई। पता करने कि आखिर मनी ऑर्डर क्यों नहीं आ रहा। तब पता चला कि मनी ऑर्डर भेजने वाले की मौत हो गई है और उस शख्स का नाम मोहम्मद रफी है।
मोहम्मद रफी को ‘नेशनल अवॉर्ड’ से किया गया सम्मानित :
मोहम्मद रफी ने सबसे ज्यादा डुएट गाने ‘आशा भोसले’ के साथ गाए हैं। रफी साब ने सिंगर किशोर कुमार के लिए भी उनकी दो फिल्मों ‘बड़े सरकार’ और ‘रागिनी’ में आवाज दी थी। मोहम्मद रफी को ‘क्या हुआ तेरा वाद’ गाने के लिए ‘नेशनल अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया था। 1967 में उन्हें भारत सरकार की तरफ से ‘पद्मश्री’ अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। मोहम्मद रफी को दिल का दौरा पड़ने की वजह से 31 जुलाई 1980 को देहांत हो गया था।
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