वर्तमान समय में दूषित खाने और दूषित पर्यावरण की वजह से कैंसर की बीमारी बहुत अधिक बढ़ रही है | इस बीमारी के इलाज में गौपथी कई जगह कारगर साबित हो रही है | आपको उपलब्ध करवा रहे हैं एसी ही जानकारी जो कैंसर के लिय उपयोगी साबित होगी |
गाय के दही, मूत्र तथा तुलसी पत्रों के योग से असाध्य कहे जाने वाले रोग कैंसर की औषधि तैयार की जा सकती है। इससे कैंसर के अनेक रोगियों को रोगमुक्त करने में सफलता मिली है। वह योग निम्न प्रकार से तैयार किया जा सकता है।
भारतीय नस्ल की देशी गाय के दूध का 250 ग्राम से आधा किलो दही, 4 चम्मच गोमूत्र, 5 से 10 पत्ते तुलसी पत्र, कुछ शुद्ध मधु- इन चारों पदार्थों को एक पात्र में मिलाकर, मथकर प्रात:काल खाली पेट प्रतिदिन केवल एक बार पीने से तथा 1 वर्ष तक के इस प्रयोग से प्रारंभिक अवस्था का कैंसर पूरी तरह दूर हो जाता है । और अनेक रोगियों को फायदा हुआ है |
गोमूत्र में हरड़ (हर्रे) भिगोकर धीमी आंच पर गरम करें। जलीय भाग जल जाने पर उस हरड़ का चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण का प्रतिदिन सेवन करें। यह चूर्ण अनेक रोगों की रामबाण दवा है।
दरअसल गोमूत्र में कार्बोलिक एसिड भी होता है, जो कीटाणुनाशक है। जिसके कारण इसमें हृदय और मस्तिष्क के विकारों को भी दूर करने की प्रभावी क्षमता है।
इसके अलावा गाय के शरीर पर नित्य हाथ फेरने से, उसके श्वास से अनेक प्रकार के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। नित्य हाथ फेरने से एक सकारात्मक उर्जा का प्रवाह हमारे शरीर के अंदर होता है जिससे मानव को रक्तचाप और तनाव में अधिक लाभ मिलता है | गोबर के कंडों की राख से दुर्गंध देखते ही देखते दूर हो जाती है। कब्ज, खांसी, दमा, जुकाम, जीर्ण ज्वर, उदर रोग तथा चर्म रोग आदि में गोमूत्र रामबाण दवा का काम करता है
नोट ये सभी उपाय आजमाने से पूर्व चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें। ताकि अधिक और प्रभावी लाभ मिल सके |