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Frozen City

Russia की Frozen City, जहाँ 8 सालों से कोई नहीं रहता है, जाने वजह….

Frozen City: हर शहर का मौसम अलग अलग होता है और ये मौसम के हिसाब से अपनी पहचान बनाते हैं। किसी जगह गर्मी तो किसी जगह सर्दी। कहीं सिर्फ बारिश होती रहती है। इस समय जब दुनिया भर में गर्मी का मौसम शुरू हो रहा है, ऐसे में Russia (रूस) का एक शहर ऐसा है जो अपने खराब मौसम की वजह से खाली पड़ा है। ये शहर पिछले आठ साल से खाली पड़ा है। यहां सड़कों और मैदानों, घरों के ऊपर बर्फ की मोटी चादर तो है ही, लोगों के गाड़ियों और रोशनदानों में ऐसी बर्फ जमी है, जिसका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता है।

रूस का वोरकुता शहर (Vorkuta City) नॉर्थ आर्कटिक सर्किल का चौथा सबसे बड़ा शहर है। ये शहर अत्यधिक सर्दी के लिए मशहूर है। इस इलाके में पोलर भालू बहुतायत में पाए जाते हैं। यहां जिस तरफ भी देखें, चारों तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आती है। यहां न्यूनतम तापमान माइनस 50 डिग्री सेल्सियस के आसपास जाता है।

अत्यधिक सर्दी और बर्फ पड़ने के कारण यहां से लोग दूसरे गर्म इलाकों में चले गए। यहां पर सर्दी ज्यादा होने के कारण कोई नहीं रहता है। साल 2010 के जनगणना के मुताबिक यहां पर कभी 70,548 लोग रहते थे। लेकिन माइनस 50 डिग्री सेल्सियस की सर्दी ने यहां से लोगों को पलायन करने पर मजबूर कर दिया।

वोरकुता में बची तो बस सफेद बर्फीली चादर। अब यहां घरों और बिल्डिंग को बर्फ ने ढक दिया है। घर की छत, दीवार, खिड़की, सड़क कुछ भी हो यहां हर चीज़ पर बस बर्फ ही बर्फ जमी है।

एक समय में स्टालिन ने इस इलाके में कैदियों को रखने के लिए गुलाग कैदखाना (Gulag Camp) बनवाया था लेकिन -50 डिग्री जैसे असहनीय तापमान ने यहां की जनता को पलायन करने पर मजबूर कर दिया। ये कैदखाना या कैंप वहां कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए बनाया गया था। लेकिन किसी को सजा देनी होती थी तो भी इस इलाके में भेज दिया जाता था।

1932 के समय में ये शहर माइनिंग हब के तौर पर मशहूर था, लेकिन जब सोवियत संघ का विभाजन हुआ। संघ के 15 टुकड़े हुए तो इस इलाके में चहल-पहल कम हो गई। बची हुई चहल को यहां के तापमान ने पूरी कर दी। 21वीं सदी की शुरुआत आते-आते यहां से कोयले के खदान बंद कर दिए गए। क्योंकि 1980 से 1990 के बीच माइनिंग कराने वालों और मजदूरों के बीच संघर्ष और विवाद होने लगा था। क्योंकि मजदूरों को इस भयानक परिस्थितियों में काम करने के लिए पर्याप्त मजदूरी नहीं मिलती थी।

बाद में कोल माइनिंग में काम करने वाले मजदूरों को ज्यादा पैसा देने का लालच दिया गया ताकि वो यहां से न जाए। ये इलाका वीरान न हो। लेकिन इतने खराब मौसम में यहां कोई रहना नहीं चाहता था। इसलिए ये शहर छोड़कर लोग चले गए। फरवरी के महीने में यहां का तापमान माइनस 20 डिग्री सेल्सियस रहता है। बर्फ से राहत मिले तो आर्कटिक सागर से चलने वाली ठंडी हवाएं इस इलाके में गलन बनाए रखती हैं।

वोरकुता रूस के साइबेरिया इलाके से कम ठंडा रहता है। लेकिन यह रूस के पर्माफ्रॉस्ट सीमा पर स्थित है, इसलिए यहां सर्दी बहुत ज्यादा पड़ती है। कोल्ड वॉर के समय वोरकुता एयरपोर्ट से बमवर्षक विमान उड़ा करते थे। यहां से अमेरिका के खिलाफ लड़ाकू विमान उड़ा करते थे। साथ ही आर्कटिक इलाके की निगरानी किया करते थे।

वोरकुता में ही 28 फरवरी 2016 में रूस का सबसे बड़ा खदान हादसा हुआ था। यहां पर एक खदान में काम चल रहा था। मीथेन गैस लीक होने से ब्लास्ट हुआ और 32 लोगों की मौत हो गई थी। 26 लोग तीन दिनों तक खदान में फंसे रहे थे। जिनमें से चार की मौत मीथेन गैस की वजह से हुई थी।

वोरकुता में सबसे न्यूनतम तापमान का रिकॉर्ड माइनस 52 डिग्री सेल्सियस दर्ज है। यहां का अधिकत तापमान 33.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज है। लेकिन आमतौर पर मौसम इन दोनों के बीच में संतुलित बना रहता है। यहां पर नवंबर से मार्च तक बर्फ की मोटी परत जमी रहती है।

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