कुछ चुनिंदा संस्थानों को छोड़कर निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों के स्टूडेंट्स को भविष्य के बारे में सोचकर नींद ही नहीं आती। कर्ज लेकर, जमीन बेचकर या गिरवी रखकर अपने बच्चों को इंजीनियरिंग के कोर्स में दाखिला दिलाने वाले मां-बाप भी नहीं जानते कि उनका सपना पूरा होगा या नहीं। आज इंजीनियरिंग डिग्री ले चुके ढेर सारे छात्र बेरोजगार हैं। 2013-14 के आंकड़ों के अनुसार 3.5 लाख से 4 लाख इंजीनियर प्रति वर्ष पास आउट होते हैं।
ऑर्गनाइज्ड रिक्रूटमेंट के आंकड़े बताते हैं कि इनमें से लगभग 1.5 लाख को जॉब मिल जाता है और बचे हुए इंजीनियरों को एक साल बाद जॉब मिल जाता है। बाकी या तो फील्ड बदल लेते हैं या फिर जॉब ढूंढते रहते हैं।
मौजूदा हालत : इंजीनियरों को जॉब मिलने के प्रतिशत में लगातार कमी आई है। 2009-10 में डिग्री पूरी करने के बाद 60 प्रतिशत इंजीनियर जॉब पाते थे। यह आकंड़ा लगातार नीचे आया है।
वर्तमान में केवल 30 से 35 प्रतिशत इंजीनियर ही उसी साल नौकरी में आ पाते हैं, बाकियों को लंबा संघर्ष करना पड़ता है।
इंडस्ट्री के लिए रिक्रूटमेंट करने वाली कंसल्टिंग फर्म रंगरूट डॉट कॉम के डायरेक्टर (एचआर) योगेश शर्मा कहते हैं कि इंजीनियरों की बाढ़ को देखते हुए कंपनियों ने अपना रिक्रूटमेंट पैटर्न बदला है।
बीई की जगह बीएससी : कंपनियां बीई के बजाए बीएससी को तरजीह देने लगी हैं, जिससे इंजीनियरों के बेरोजगार रह जाने के आंकड़े में बढ़ोतरी हुई है।
इसका कारण बताते हुए योगेश कहते हैं, कंपनियों की सोच है कि बीएससी पास 15 से 20 हजार रुपए में खुशी-खुशी अपने करियर की शुरुआत करता है। लेकिन इंजीनियर शुरुआत से ही बिना परफॉर्म किए अपनी ग्रोथ, इंक्रिमेंट की बातें करते हैं।
इसके अलावा अनुभव लेने के बाद इंजीनियर के जॉब स्विच करने की प्रबल संभावना होती है।
निराश हैं इंजीनियर : नौकरी न मिल पाने से हताश इंजीनियरों ने या तो अपनी राह बदल ली या फिर वह काम चुन लिया जिसका इंजीनियरिंग डिग्री से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद अब बैंक पीओ की तैयारी कर रहे मध्य प्रदेश के गुना निवासी मोइन खान बताते हैं। इंजीनियरिंग में नौकरी सिर्फ टॉपर को ही मिलती है। साधारण छात्रों को कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। मेरी तरह मेरे कई साथी भी अब दूसरे क्षेत्रों में भाग्य आजमा रहे हैं।
बीई इलेक्ट्रॉनिक्स कर चुके भोपाल के गोपाल सचदेवा ने डिग्री पूरी करने के बाद लगभग प्रति दिन कई कंपनियों में ई-मेल से जॉब के लिए अप्लाई किया।
गोपाल कहते हैं, ‘बहुत-सी कंपनियों ने तो जवाब ही नहीं दिया। कुछ ने मेल का जवाब दिया लेकिन वह नेगेटिव ही रहा।’
मार्गदर्शन नहीं : गोपाल मानते हैं कि उन्होंने इंजीनियरिंग में एडमिशन इसलिए लिया कि नाम के साथ इंजीनियर लगाना अच्छा लगता था। लेकिन अब वे सोचते हैं कि इस तरह के फैसले लेने से पहले किसी जानकार से सलाह लेनी चाहिए थी।
इंदौर की एक प्लेसमेंट एजेंसी के प्रमुख कमलेश शर्मा कहते हैं, ‘मार्गदर्शन के अभाव या भेड़चाल के कारण अक्सर ऐसे स्टूडेंट, जिनकी रुचि नहीं होती, वे भी इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लेते हैं.ये डिग्री तो पूरी कर लेते हैं, लेकिन इन्हें रोजगार नहीं मिल पाता।’
बाद में कुछ कम्प्यूटर ऑपरेटर बन जाते हैं तो कुछ कॉल सेंटर या रीटेल सेक्टर में काम करने लगते हैं।
अगर इन्हें कोर्स चुनाव के समय ही मार्गदर्शन मिल जाता तो इस स्थिति से बचा जा सकता है।
इंजीनियरों का ‘शोषण’ : इंजीनियरों में बढ़ती बेरोजगारी का फायदा इंडस्ट्री भी उठा रही हैं। रंगरूट डॉट कॉम के योगेश कहते हैं, “कंपनियां जब किसी बीई को रिक्रूट करती हैं तो कम पैकेज की बात करती हैं, बॉंड भरवाया जाता है। नौकरियां कम हैं और उम्मीदवार बहुत अधिक।
उनका कहना है, ‘इसलिए अगर कोई कंपनियों की इन शर्तों को नहीं भी मानता तो कंपनियों के लिए उम्मीदवारों की कमी नहीं है। समान योग्यता वाला कोई न कोई मिल ही जाता है।’
इंजीनियरिंग कॉलेज तेजी से बढ़े, आसानी से प्रवेश मिलने की वजह से प्रतिभाशाली छात्रों के अलावा बड़ी संख्या में ऐसे स्टूडेंट भी थे जो विषय की पकड़ नहीं रखते थे या जिन्हें व्यावहारिक जानकारी नहीं थी।
नतीजतन, इंडस्ट्री ने उन्हें रिजेक्ट करना शुरू किया और साल दर साल यह संख्या बढ़ती गई।
क्या करें? : इंदौर के इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई करने वाली अनुराधा पाठक कहती हैं, ‘डिग्री पूरी करने के बाद जब इंटरव्यू दिया तो पता चला कहां समस्या आ रही है.सिर्फ डिग्री से नौकरी मिलना मुश्किल है।’
अनुराधा कम्युनिकेशन स्किल्स की क्लास करने लगीं और आत्मविश्वास बढ़ाया। इंटरव्यू के लिए रिसर्च की।
सब्जेक्ट के नोट्स बनाए और नतीजा पहले से बेहतर रहा और अब उन्हें एक ठीक-ठाक जॉब मिल ही गई है।
अनुराधा जैसी स्टूडेंट की बातों से समझा जा सकता है कि डिग्री पूरी करने के बाद भी अगर कुछ कमी है तो उसे दूर किया जा सकता है। और थोड़े वक्त में ही अपनी स्किल डेवेलपमेंट से सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।
अपनी रुचि पर दें ध्यान : तकनीकी क्षेत्र में करियर बनाने निकले युवाओं को यह बात समझनी होगी कि किसी भी कोर्स में इसलिए दाखिला नहीं लिया जाए कि लोग उन्हें बेहतर मानने लगेंगे। बल्कि अपनी रुचि के अनुसार कोर्स का चयन करें।
अगर आपको टेक्नॉलॉजी का शौक नहीं है या आपको मैकेनिज्म, कंस्ट्रक्शन या केमिकल्स को समझने में कठिनाई होती है तो इंजीनियरिंग आपके लिए नहीं है।
अगर युवा अपनी रुचि के अनुसार काम चुनने लगें तो फिर कोई भी कोर्स करने के बाद बेहतर रोजगार पाया जा सकता है। और फिर मेहनत और लगन का कोई विकल्प नहीं है।
Source – BBC