पान के औषधीय गुण
भारतीय संस्कृति में पान को हर तरह से शुभ माना जाता है। धर्म, संस्कार, आध्यात्मिक एवं तांत्रिक क्रियाओं में भी पान का इस्तेमाल सदियों से किया जाता रहा है। इसके अलावा पान का रोगों को दूर भगाने में भी बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। कई बीमारियों के उपचार में पान का इस्तेमाल लाभप्रद माना जाता है ।
पान में दस ग्राम कपूर को लेकर दिन में तीन-चार बार चबाने से पायरिया की शिकायत दूर हो जाती है। इसके इस्तेमाल में एक सावधानी रखना जरूरी होती है कि पान की पीक पेट में न जाने पाए।
चोट लगने पर पान को गर्म करके परत-परत करके चोट वाली जगह पर बांध लेना चाहिए। इससे कुछ ही घंटों में दर्द दूर हो जाता है।
खांसी आती हो तो गर्म हल्दी को पान में लपेटकर चबाएं। * यदि खांसी रात में बढ़ जाती हो तो हल्दी की जगह इसमें अजवाइन डालकर चबाना चाहिए।
यदि किडनी खराब हो तो पान का इस्तेमाल बगैर कुछ मिलाए करना चाहिए।
जलने या छाले पड़ने पर पान के रस को गर्म करके लगाने से छाले ठीक हो जाते हैं।
पीलिया ज्वर और कब्ज में भी पान का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है।
जुकाम होने पर पान में लौंग डालकर खाने से जुकाम जल्दी पक जाता है।
श्वास नली की बीमारियों में भी पान का इस्तेमाल अत्यंत कारगर है। इसमें पान का तेल गर्म करके सीने पर लगातार एक हफ्ते तक लगाना चाहिए।
पान में पकी सुपारी व मुलेठी डालकर खाने से मन पर अच्छा असर पड़ता है। यूं तो हमारे देश में कई तरह के पान मिलते हैं। इनमें मगही, बनारसी, गंगातीरी और देशी पान दवाइयों के रूप में ज्यादा कारगर सिद्ध होते हैं। भूख बढ़ाने, प्यास बुझाने और मसूड़ों की समस्या से निजात पाने में बनारसी एवं देशी पान फायदेमंद साबित होता है।
चेतावनी : पान का अत्यधिक प्रयोग मुंह के कैंसर का कारण भी हो सकता है। यहां सिर्फ पान के औषधीय महत्व की जानकारी दी गई है।
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