वर्तमान में हम्पी शहर के अवशेषों पर एक ऐसा नगर खड़ा है जो अपने प्राचीन समय में अपने वैभवता भव्यता के लिए प्रसिद्द था। हम्पी का पुराना नाम विजयनगर था जिसका अर्थ है विजय का राज्य। 14वी से 16वी सदी तक यह राज्य भारत का सबसे प्रसिद्ध और वैभवशाली नगर था लेकिन आज यह साम्राज्य देश की इतिहास की पुस्तकों से गायब है।
तुर्क, अरबो और मुगलों का इतिहास गर्व से लिखने वाले अपने ही देश के इतिहास को गौरवपूर्ण रूप से नहीं लिख पाए। विजयनगर की स्थापना हरिहर राय ने की थी जो विजयनगर के शक्तिशाली साम्राज्य के प्रथम शासक थे। हरिहर ने 1336 में विजयनगर के हिन्दू साम्राज्य की स्थापना की थी जिसने अगले 300 से अधिक वर्षो तक दक्षिण भारत में हिन्दूओ का अधिपत्य बनाये रखा।
दक्षिण के हिन्दू साम्राज्य की स्थापना
विजयनगर की स्थापना हरिहर राय प्रथम ने की थी। इसके लिए ब्राह्मण आचार्य व तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी विद्यारण्य माधवाचार्य ने उनकी सहायता की थी। मालिक काफूर नामक मुस्लिम सेनापति ने हरिहर राय और बुक्का राय नामक दो भाइयो को मुस्लिम बना दिया था जिन्हें स्वामी विद्यारण्य ने शुद्धि के पश्चात वापिस हिन्दू बनाया। ये दोनों भाई आगे चलकर एक महान साम्राज्य के संस्थापक बने।
विजयनगर की स्थापना की रोचक कथा
हरिहर बुक्का राय के गुरु स्वामी विद्यारण्य “माधवाचार्य” जी एक बार भ्रमण करते हुए ऐसे स्थान पर पहुंचे जहां पर एक कुत्ता खरगोश पर झपट रहा था पर एक स्थान पर पहुँच कर खरगोश ने उल्टा कुत्ते पर झपट्टा मारा और फिर उसका पीछा करते हुए पाया। उन्होंने ध्यान लगा कर पाया कि यह जगह एक शक्तिपीठ है, एक सीमित परिधि से पहले कुत्ता खरगोश के पीछे भाग रहा था परन्तु एक परिधि के अंदर आते ही खरगोश ने पलट कर कुत्ते पर वार कियाl स्वामी माधवाचार्य जी ने उसी स्थान पर विजयनगर की स्थापना का संकल्प लिया।
सबसे शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य
हरिहर राय और उसके भाई बुक्कराय ने मिल कर विजयनगर साम्राज्य को एक समृद्धशाली हिन्दू राज्य बनाया l 1356 में हरिहर राय प्रथम के स्वर्गवास के बाद बुक्क राय प्रथम विजयनगर साम्राज्य के राजा बने, इन्होने भी 20 वर्ष शासन किया। इसके पश्चात देवराय प्रथम, देवराय द्वितीय और वीरुपाक्ष द्वितीय ने विजयनगर साम्राज्य को एक नयी दिशा दी और इस्लामी आक्रान्ताओं से दक्षिण प्रदेश को बचाए रखाl
विजयनगर के सबसे प्रसिद्ध शासक
तुंगभद्रा नदी के किनारे बसा दक्षिण भारत का सबसे सुन्दर नगर विजयनगर तब और जगमगा उठा था जब 1509 ई में शासन की बागडौर कृष्णदेव राय के हाथ में आई। कृष्णदेव राय को बाबर ने भी अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ऐ-बाबरी’ में तत्कालीन भारत का सबसे शक्तिशाली राजा बताया है। राजा कृष्णदेव राय के दरबार में तेलुगु के 8 सर्वश्रेष्ठ कवि रहते थे जिन्हें अष्ट दिग्गज कहते थे वही उनके सबसे बुद्धिमान दरबारी थे तेनालीराम जिनकी बुद्धिमानी के किस्से आज भी प्रसिद्ध है। राजा कृष्णदेव राय ने कोंकण से लेकर आंध्र समेत पुरे दक्षिण भारत पर अपना अधिपत्य जमा लिया था इसलिए उन्हें त्रि-समुद्राधिपति की उपाधि मिली थी।
विजयनगर का पतन
कृष्णदेव राय की मृत्यु के साथ ही विजयनगर का पतन प्रारम्भ हो चूका था। परन्तु वास्तविक पतन 1565 में हुआ जब 5 मुस्लिम राज्यों ने आदिलशाह के नेतृत्व में जिहाद का नारा देकर विजयनगर पर धावा बोल दिया। उस समय रामराय विजयनगर के शासक थे जिन्होंने 2 मुस्लिम भाइयो को गोद लिया हुआ था। मुस्लिम सेनाओं के आक्रमण के बाद हुए भयंकर युद्ध में विजयनगर लगभग जीत ही चुका था की एन समय पर रामराया के दोनों दत्तक मुस्लिम पुत्रो ने रामराया पर पीछे से वार कर दिया और उनकी हत्या कर दी। रामराया की हत्या के बाद मुस्लिम सेनाओं ने रामराया की सेना में भयंकर मारकाट मचा दी। जिसके बाद 3 दिनों तक मुस्लिम फौजों ने विजयनगर में घुस कर एक एक पुरुष महिला बच्चे की हत्या कर दी थी।
वर्तमान में हम्पी शहर इसी विजयनगर के अवशेषों पर खड़ा है जहाँ विजयनगर के खँडहर आज भी उस प्राचीन इतिहास की याद दिलाते है विजयनगर हम्पी के ये अवशेष यूनेस्को की विश्व धरोहर सूचि में शामिल है
Source-Insistpost.com