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डिब्बाबंद दूध

अगर आप सुपर माँ हैं-तो जानें कैसे जहर है,डिब्बाबंद दूध आपके नवजात शिशु के लिए !

जीवन का पहला साल बच्चे के विकास के लिए बेहद अहम होता है। बच्चे अपने आस पास की चीजों को समझना और पहले शब्द बोलना सीखते हैं। इस दौरान माता-पिता कई सवालों से गुजरते हैं, यदि आप भी उनमें से हैं, तो सबसे पहली बात है- उसका भोजन,जो दूध होता है।जो महिलायें नवजात शिशु को डिब्बाबंद दूध पिलाती है,वह दूध को बंद डिब्बे में कुछ घंटों तक डाल के रखते हैं, जो बच्चे के लिए जहर समान है।

बहुत महिलाएं नडिब्बाबंद दूधवजात शिशु को डिब्बाबंद दूध पिलाने को अच्छा मानते है,पर यह बिल्कुल गलत है। ऐसा लोग डिब्बेबंद दूध को हेल्दी मानने की वजह से करते हैं। लेकिन क्या आपको मालुम है कि डिब्बाबंद दूध शिशुओं के लिए जहर के समान होता है। अगर आप भी अपने नन्हे-मुन्ने को डिब्बाबंद दूध दे रही हैं, तो जान लें कि आप उन्हें आहार की जगह एक तरह से जहर का सेवन करा रही हैं।

कई बार माताएं स्तनों में दूध ना बनने के कारण शिशु को डिब्बाबंद दूध बच्चों को पिलाती हैं। डिब्बाबंद दूध कितनी भी अच्छी क्वालिटी का क्यों ना हो, लेकिन वो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है। ऐसा इस दूध में मेलामिन नामक तत्व के मिले होने के कारण होता है।

जब तक किसी डॉक्टर द्वारा सलाह न दी जाए, 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को केवल शिशु फार्मूला ही दिया जाना चाहिए। 6 महीने बाद भी, वे शिशु फार्मूला जारी रख सकते हैं। 12 महीने की उम्र के बाद, वे पूरी वसा वाला गाय का दूध पीना शुरू कर सकते हैं।

दरअसल सभी तरह के डिब्बाबंद दूध पाउडर में मेलामिन नाम का एक तत्व मिला रहता है जो शिशु के लिए नुकसानदायक होता है। इस संबंध में कई शिशु चिकित्सक भी कह चुके हैं कि इस डिब्बाबंद दूध से नवजात शिशु को हैजा, अस्थमा, डायबिटीज, किडनी स्टोन आदि अन्य तरह की बीमारियां हो जाती हैं।

आज देश में नवजातों का एक बहुत बड़ा हिस्सा डिब्बाबंद दूध पाउडर पर निर्भर है। लेकिन इसके बावजूद इन दूध के मानकों पर कोई ध्यान नहीं देता। जबकि हर साल 3.1 करोड़ नवजातों को डिब्बाबंद दूध पाउडर आहार के रुप में दिया जाता है। इस कारण इस उत्पाद के पोषक-तत्वों को सुनिश्चित किया जाना जरूरी है।

अगर कोई महिला अपने बच्चे को डिब्बाबंद दूध पाउडर खिलाती है और इसके बावजूद भी शिशु को डायरिया है तो जरूरत आपका डिब्बाबंद दूध पाउडर दूषित है।

आपको जानकर हैरानी होगी की 2011 में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार देश में वितरित किए गए दूध में से 68.4 फीसदी दूध नकली पाया गया।

 

बच्चे विकास और विकास के लिए उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए दूध की मात्रा को समायोजित करते हैं। उनकी भूख दिन-प्रतिदिन बदलती है।आपके बच्चे की भूख आपको बताएगी कि उसे कब और कितनी मात्रा की जरूरत है।याद रखो नवजात शिशु के लिए माँ का दूध ही सर्वश्रेष्ठ है।

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