क्यों नॉन-वेज उतना हेल्दी नहीं हो सकता जितना आप सोचते हैं?
बहुत से लोग मानते हैं कि नॉन-वेज यानी मांस, मछली और अंडा शरीर के लिए ज़्यादा फायदेमंद होते हैं क्योंकि इनमें प्रोटीन, आयरन और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्व होते हैं। लेकिन ज़रूरी नहीं कि जो चीज़ पोषक तत्वों से भरपूर हो, वो हमेशा सेहतमंद भी हो। नॉन-वेज के कई नुकसान हैं जिनके बारे में लोग अक्सर अनजान रहते हैं।
मांस, विशेषकर रेड मीट, में बहुत अधिक सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल होता है। इससे हृदय रोग, मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। WHO के अनुसार प्रोसेस्ड मीट जैसे सॉसेज, बेकन आदि से कैंसर का खतरा भी होता है। इसके अलावा, नॉन-वेज जल्दी खराब हो जाता है और इसमें हानिकारक बैक्टीरिया जैसे साल्मोनेला और ई-कोलाई पनपते हैं, जो फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकते हैं।
आज के समय में जानवरों को एंटीबायोटिक और हार्मोन देकर जल्दी बड़ा किया जाता है, जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। यह हार्मोनल असंतुलन और दवाइयों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता (Antibiotic Resistance) बढ़ा सकता है।
आयुर्वेद में मांस को तामसिक भोजन माना गया है, जो मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। शाकाहार की तुलना में नॉन-वेज पचाने में भी कठिन होता है, जिससे पेट की समस्याएं हो सकती हैं।
मांस उत्पादन पर्यावरण पर भी भारी दबाव डालता है। जानवरों से निकलने वाली गैसें ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ाती हैं और संसाधनों का अत्यधिक दोहन होता है। साथ ही, यह नैतिक सवाल भी उठता है — क्या हमारी स्वाद की लालसा किसी जानवर की जान से ज़्यादा ज़रूरी है?
आज हमारे पास प्रोटीन, आयरन और विटामिन के भरपूर शाकाहारी विकल्प मौजूद हैं जो सेहतमंद, सस्ते और करुणामय हैं।
क्यों नॉन-वेज उतना हेल्दी नहीं है:
- अत्यधिक प्रोटीन नुकसानदायक हो सकता है:
लीवर और किडनी पर दबाव डालता है, यूरिक एसिड बढ़ाता है। - हृदय रोग का खतरा:
रेड मीट में हाई फैट और कोलेस्ट्रॉल होता है। - कैंसर का खतरा:
WHO के अनुसार प्रोसेस्ड मीट कैंसर का कारण बन सकता है। - फूड पॉइजनिंग का जोखिम:
खराब स्टोरेज से बैक्टीरिया जैसे साल्मोनेला का संक्रमण हो सकता है। - एंटीबायोटिक और हार्मोन का प्रभाव:
जानवरों को दिए गए रसायन हमारे शरीर पर असर डालते हैं। - पाचन में कठिनाई:
मांस को पचाने में समय लगता है, जिससे पेट की समस्याएं हो सकती हैं। - मानसिक प्रभाव:
आयुर्वेद के अनुसार नॉन-वेज तामसिक होता है, जो आलस्य और क्रोध बढ़ा सकता है। - पर्यावरणीय नुकसान:
मीथेन गैस और संसाधनों की खपत ग्लोबल वॉर्मिंग को बढ़ावा देती है। - नैतिक प्रश्न:
स्वाद के लिए किसी प्राणी की जान लेना क्या उचित है? - स्वस्थ शाकाहारी विकल्प उपलब्ध हैं:
दाल, सोया, नट्स, बीन्स आदि सभी पोषक तत्व शाकाहार से मिल सकते हैं।