प्रेगनेंसी के आठवें महीने में बरतें सावधानी, जच्चा-बच्चा के लिए बेहद जरुरी!

गर्भवती महिला की जीवनशैली, उसका खान-पान, ये सब गर्भवती और होने वाले शिशु पर सीधा असर डालता है। ऐसे में सही देखभाल जरूरी है।

देर तक खड़े रहने से बचें: इस दौरान आपके बच्‍चे का वजन बढ़ता है जिससे आपके पेट और आस-पास दबाव बढ़ता जाता है।इससे उठने और झुकने में काफी दर्द होता है।

पूरी नंद लें और पीठ के बल न लेटें: काम के साथ साथ आराम भी बेहद जरुरी है इसलिए दिन में भी कुछ देर आराम अवश्‍य करें।

तनाव से दूर रहें: इस दौरान आप बहुत से भावनात्मक परिवर्तन महसूस कर रही होंगी। 

सांस लेने में तकलीफ होना: गर्भावस्था का आठवां महीना सांस से जुड़ी परेशानी का संकेत दे सकता है।

गर्भावस्था के आठवें महीने में आहार: फाइबर युक्त भोजन खाने से प्रेग्नेंसी में कब्ज, गैस को कम किया जा सकता है।आहार में ओट्स, मौसमी फल, एवोकाडो व हरी सब्जियां शामिल की जा सकती हैं।

शरीर की ऊर्जा बनाए रखने के लिए कार्बोहाइड्रेट समेत आहार में प्रोटीन और वसा भी लें  आहार में मछली, सोया, दूध, बीन्स, अंडा, शकरकंद, सूखे मेवे व आलू जैसे खाद्य शामिल किए जा सकते हैं।

डिलीवरी से जुड़े जोखिम व चिंताएं :  प्रीटर्म लेबर यानी समय पूर्व प्रसव का जोखिम हो सकता है। समय पूर्व डिलीवरी से जन्में शिशु में अविकसित फेफड़े होने की आशंका हो सकती है।

गर्भावस्था के आठवें महीन के दौरान स्कैन और परीक्षण:  रक्तचाप व वजन, सोनोग्राफी ग्रोथ स्कैन और नॉन-स्ट्रेस टेस्ट!

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