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रामनवमी 2018: क्या हैं रामनवमी पर्व का इतिहास, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त !

रामनवमी का इतिहास: 

राम नवमी भारत में एक बहुत ही लोकप्रिय त्योहार है जिसे बेहद उल्लास के साथ मनाया जाता है, इस साल राम नवमी 2018 का पर्व 25 मार्च को मनाया जाएगा।

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या क राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराने के लिए कहा।

जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

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ram navmi 2018

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

राम नवमी का व्रत दिलाए, पापों से मुक्ति:

यह त्योहार आमतौर पर मार्च-अप्रैल के दौरान मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार राम नवमी चैत्र माह का नौवें दिन है, जो नवरात्रि का आखिरी दिन भी होता है। इसलिए भी हिंदू त्योहारों में राम नवमी का विशेष महत्त्व है।

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पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। इन दोनों पर्व का एक साथ मनाए जाना इन त्योहारों की महत्ता को और बढ़ावा देता है।

history of ram navmi

साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है।

शुभ मुहूर्त :

रामनवमी मुहूर्त : 11.14.02 से 13.41.02 तक
अवधि : 2 घंटे 27 मिनट।
रामनवमी मध्याह्न समय : 12.27.32

कैसे करें उपवास :

रामनवमी के दिन जो लोग व्रत रखते हैं उन्हें आठ प्रहर फलहार पर रहना होता है। मतलब कि रविवार के सूर्योदय से लेकर सोमवार के सूर्योदय तक उनका व्रत रहेगा। सुबह भगवान सूर्य के बाद इस व्रत की शुरुआत होती है।

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इस दिन भक्तों को ऊँ श्री रामाय: नम: या ऊँ श्री राम जय श्री राम जय जय राम मंत्र का उच्चारण करना होता है। इस व्रत से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होता हैं और उसे स्वस्थ जीवन, सम्पन्नता, खुशहाली और मन की शांति मिलती है।

  जय श्री राम !

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