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जब भारतीय सेना के सामने घुटने टेक दिये थे पाकिस्तान ने- भारतीय नौसेना दिवस 2

जब भारतीय सेना के सामने घुटने टेक दिये थे पाकिस्तान ने- भारतीय नौसेना दिवस

भारतीय सेना की बहादुरी के किस्से बहुत लंबे हैं. चाहे पाकिस्तानी सेना से देश की कई बार रक्षा करना हो या बांग्लादेश को आजाद कराना या फिर चीन को मुंहतोड़ जवाब देना हमारी साहसिक भारतीय सेना ने हर मोर्चे पर अपने साहस का प्रमाण दिया. भारतीय सेना के एक अहम अंग नौ-सेना यानि जल सेना का इतिहास भी ऐसे ही कारनामों से भरा है.

जंग-ए-आजादी से लेकर मुंबई में ऑपरेशन ताज तक भारतीय नौ सेना का इतिहास बहादुरी के कारनामों से भरा पड़ा है. भारतीय नौ सेना के इतिहास में सबसे अहम पड़ाव आया था साल 1971 में जब बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत ने कराची बंदरगाह पर मोर्चा खोला था.

विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी भारतीय नौसेना ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर भारी बमबारी कर उसे तबाह कर दिया था. चार दिसंबर, 1971 को आपरेशन ट्राइडेंट नाम से शुरू किए गए अभियान में मिली कामयाबी की वजह से ही हर साल चार दिसंबर कोनौसेना दिवस मनाया जाता है.

भारतीय नौ सेना का इतिहास

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1971 ही नहीं, बल्कि 1965 की लड़ाई में भी नौसेना ने बहादुरी का प्रदर्शन किया था. यूं तो नौ सेना का इतिहास पौराणिक काल से ही माना जाता है, लेकिन ब्रिटिश उपनिवेश के दौरान इसे रॉयल इंडियन नेवी नाम से सेना के रूप में इसे एक असल रूप मिला.

26 जनवरी, 1950 को रॉयल इंडियन नेवी का नाम बदलकर भारतीय नौसेना कर दिया गया. भारतीय नौसेना ने आजादी की रक्षा ही नहीं, बल्कि आजादी हासिल करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज द्वारा छेड़े गए सशस्त्र संघर्ष से प्रेरित होकर रॉयल इंडियन नेवी के भारतीय सदस्यों ने 18 फरवरी, 1946 को एचआईएमएस तलवार नाम के जहाज से जंग-ए-आजादी का ऐलान कर दिया था. नौ सैनिकों का यह विद्रोह इतना तीव्र था कि जल्द ही यह 78 जहाजों और 20 तटों तक फैल गया था तथा इसमें 20 हजार नाविक शामिल हो गए थे. हालांकि भारतीय नेताओं का समर्थन न मिलने के कारण नौ सैनिकों का यह विद्रोह सफल नहीं हो पाया लेकिन अंग्रेजों के दिलों में यह डर जरूर छोड़ गया कि अब उनकी भारत से भागने में ही भलाई है.

इस घटना से अंग्रेजों के मन में यह खौफ पैदा हो गया था कि भारतीय सैनिक कभी भी विद्रोह का बिगुल फूंक कर भारत में मौजूद सभी अंग्रेजों को खत्म कर सकते हैं.

इसके अलावा 1961 में गोवा से पुर्तगालियों को खदेड़ने में भी इस बल की महत्वपूर्ण भूमिका रही और ऑपरेशन विजय को अंजाम तक पहुंचाया. वर्तमान में 55 हजार कर्मियों वाली भारतीय नौसेना दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी नौसेना है, जिसके पास विमानवाहक पोत आईएनएस विराट सहित 155 से अधिक जहाज हैं और दो हजार से अधिक मैरीन कमांडो हैं.

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इन दिनों भारतीय नौसेना आधुनिकीकरण के दौर से गुजर रही है जहां वह नित नए विमान और युद्धपोत अपने बेड़े में शामिल कर रही है. हम आशा करते हैं कि भारतीय नौ सेना इसी तरह सदैव देश की शान साबित होगी.

बांग्लादेश की मुक्ति में भारत की तीनों सेनाओं ने ही अद्भुत बहादुरी का प्रदर्शन किया था. नौसेना ने समुद्री क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए पाकिस्तान के कराची बंदरगाह को बमबारी से तबाह कर दिया और इस दौरान पाकिस्तान की पीएनएस गाजी पनडुब्बी जल में दफन हो गई. अभियान में आईएनएस विक्रांत ने खूब वाहवाही बटोरी. नौसेना की इस कामयाबी ने मुक्ति संग्राम में भारत की विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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