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बैंक ’बोन’ बनी दस महीने पुरानी कंपनी 2

बैंक ’बोन’ बनी दस महीने पुरानी कंपनी

अभिषेक नायक एक प्रतिभाशाली युवा हैं जिनके पास कामयाब होने के लिए सारे गुण मौजूद हैं। उनके पास आत्मविश्वास, बुद्धिमत्ता और नेतृत्व की क्षमता है। उन्होंने अपने करियर में न सिर्फ दो सफल कंपनियां शुरू कीं बल्कि उनकी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया ने माना।

इस कहानी में दो ऐसे अध्याय जुड़े हैं जो उनकी कार्यकुशलता और प्रतिभा का परिचय देते हैं। पहली सफलता सेक्वॉया- घरपे की और दूसरी क्लाइनो की।

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हाल ही में उनकी 10 महीने पुरानी कम्पनी ‘क्लाइनो’ को बेंगलुरू की ‘इज़टेप’ ने खरीद लिया है। उनकी पहली कम्पनी ‘सेक्वॉया- घरपे’ की सफलता को देखते हुए उसे ‘देल्हीवेरी’ नाम की एक कम्पनी ने खरीद लिया था।

2013 में ‘घरपे’ के बाद उन्होंने एक नए तकनीकी प्रॉडक्ट पर काम शुरू किया। ये प्रॉडक्ट बैंकों को ऑनलाइन भुगतान के विश्लेषण के ज़रिये उनके ग्राहकों के खरीदारी के पैटर्न को समझने में मदद करता है। क्लाइनो की यह अपनी तरह की भारत में यह पहली सुविधा है।

वहीं क्लाइनो को खरीदने वाली कंपनी ईज़टेप ने स्वदेशी तकनीक से ऐसा उपकरण बनाया है जो इंटरनेट के बिना ग्राहकों को उनके कार्ड से खरीदारी करने की सुविधा मुहैया कराता है। इसके लिये केवल मोबाइल फोन के नेटवर्क की ज़रूरत होती है।

इज़टेप ने जहां भुगतान का समाधान निकाला वहीं क्लाइनो भुगतान के विवरण का विश्लेषण करता है। इसका सीधा मतलब हुआ कि संभावित ग्राहकों के पास बेहतर फैसला लेना का मौका होगा।

अधिग्रहण के समय क्लाइनो के पास एक ही क्लाइन्ट था रत्नाकर लिमिटेड बैंक, जिसके लिए क्लाइनो डेढ़ लाख डेबिट और क्रेडिट कार्ड धारकों के लिए खरीदारी को लेकर ग्राहकों की सोच के बारे में विश्लेषण करता था। अभिषेक बताते हैं एचडीएफसी बैंक के साथ वो पिछले 6 महीने से पायलट प्रॉजेक्ट पर काम कर रहे हैं। दूसरे बैंकों से भी बातचीत जारी है। उनका कहना है कि वैल्यू ऐडेड सर्विस के क्षेत्र में ज़्यादा कमाई नहीं है लेकिन समय के साथ मुनाफा बढ़ता जाता है।

क्लाइनो वैल्यू ऐडेड सर्विस क्षेत्र में इज़टेप के साथ अगले कुछ महीनों में नए प्रॉडक्ट लेकर आने की योजना बना रही है।

घरपे से क्लाइनो तक

घरपे के देल्हीवरी द्वारा अधिग्रहण के बाद जुलाई 2013 में क्लाइनो पर काम की शुरूआत हुई। क्लाइनो ने जब इस क्षेत्र में काम शुरू किया तब कोई और कंपनी ट्रान्जैक्शन के आंकड़ों के विश्लेषण की दिशा में काम नहीं कर रही थी।

3क्लाइनो के 10 महीने के कामकाज से मिली सीख

अभिषेक औऱ उनकी टीम ने दस महीनों के अनुभव में बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने इस दौरान ऑस्टेलिया के एक बैंक समेत कई विदेशी बैंकों से भी अपने काम के बारे में बात की है। वे कहते हैं कि बैंकों को अपना प्रॉडक्ट बेचना आसान नहीं है पर सब्र और मेहनत का फल मीठा होता है। बैंकों के साथ इस व्यापार में मुनाफा मिलने में समय लगता है। अभिषेक बताते हैं कि बैंकों के लिए इस तकनीकी सुविधा को विकसित करना उनकी टीम के लिए मुश्किल काम था ।

इज़टेप के साथ जाने का फैसला

इज़टेप के साथ क्लाइनो के जुड़ने से दोनों कम्पनियों को एक दूसरे की विशेषताओं से फायदा हुआ है। क्लाइनो को खरीदने के बारे में इज़टेप के सह- संस्थापक संजय स्वामी मानते हैं कि अभिषेक की टीम पुख्ता रोडमैप पर काम करती है। संजय और अभिषेक के बीच तालमेल अच्छा है इसलिए दोनों टीमें बेहतर ढंग से मिलकर काम करती हैं। संजय बताते हैं कि उनके पास ऑनलाइन ट्रान्जैक्शन के अलावा दूसरी तकनीकी सुविधाएं विकसित करने की योजना भी है।

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क्लाइनो को खरीदने की वजह

क्लाइनो की सफलता और अभिषेक की कार्यकुशलता इसका मुख्य आकर्षण था। संजय बताते हैं कि इज़टेप ग्राहकों को विशेष प्रकार की सुविधा देता है जिसके विस्तार के लिए ग्राहकों के खर्च करने के पैटर्न का अध्ययन ज़रूरी है। उनके मुताबिक क्लाइनो बैंकों को अच्छा परिणाम दे रहा है। यह सोने पे सुहागा ही है कि संजय और अभिषेक एक दूसरे को काफी समय से जानते थे और वे साथ काम करना चाहते थे।

वहीं अभिषेक यह बताना नहीं भूलते कि क्लाइनो को इज़टेप ने युवा टीम की वजह से खरीदा है। क्लाइनो की टीम के सबसे बड़ी उम्र के सदस्य इज़टेप के सबसे कम उम्र के इंजीनियर से भी छोटे हैं लेकिन फिर भी क्लाइनो की टीम को नई कम्पनी में संतोषजनक पद दिए गए हैं।

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क्लाइनो का भविष्य

अभिषेक इज़टेप से जुड़कर काफी खुश हैं। उन्हें नई कम्पनी में डायरेक्टर (प्रॉडक्ट) का पद दिया गया है जबकि उनकी टीम के बाकी 10 सदस्यों को भी अच्छे पद दिए गए हैं। उनका कहना है कि अब वो बिना फंडिंग की चिंता किए काम पर ध्यान देंगे औऱ बेहतर प्रॉडक्ट विकसित कर पाएंगे।

अब तक दुनिया ने भारत के कुशल डॉक्टरों औऱ इंजीनियरों का लोहा माना था लेकिन अब ऐसा युवा व्यापारी वर्ग उभर रहा है जो तकनीकी रूप से शिक्षित है औऱ अपनी प्रतिभा के ज़रिए नए नए रास्ते बना रहा है। इनकी सोच ऊंचाइयों को छू लेने में सक्षम है। खास बात यह कि यह युवा अपने अवसर खुद बना रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं। अभिषेक ऐसे ही सफल युवा हैं जिनके आगे असीम संभावनाएं मौजूद हैं।

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