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चीन में ब्लैकलिस्टेड कंपनियां भारत में बेच रहीं बिजली के उपकरण 2

चीन में ब्लैकलिस्टेड कंपनियां भारत में बेच रहीं बिजली के उपकरण

चीन की कुछ कंपनियों को भारत के पावर ट्रांसमिशन सेक्टर में उपकरण की सप्लाई देने का कॉन्ट्रैक्ट मिला है। उन कंपनियों को कथित रूप से अपने ही देश यानी चीन में काली सूची में डाला गया है। ये कंपनियां कम दाम पर उपकरण की सप्लाई कर स्थानीय कंपनियों को कड़ी टक्कर दे रही हैं।

स्थानीय कंपनियों का आरोप है कि उनकी प्रतिद्वंद्वी चीनी कंपनियां घटिया सामान बेच रही हैं। पड़ोसी देश के वेंडर्स मेन जेनरेशन इक्विपमेंट मार्केट से गायब हो गए हैं क्योंकि प्राइवेट कंपनियों ने मुश्किल से ही पिछले छह सालों में कोई ऑर्डर दिया है, लेकिन इन कंपनियों ने ट्रांसमिशन और डिस्ट्रिब्यूशन सेक्टर में अच्छी पकड़ बना ली है।

इंडस्ट्री के एक सूत्र ने बताया, ‘बहुत सी मौजूदा चीनी कंपनियों को उनके अपने ही देश में घटिया क्वॉलिटी के प्रॉडक्ट और समय पर डिलिवरी नहीं देने के कारण ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया है।’ चीनी कंपनियों से इस मामले पर टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो पाया है।

इसी तरह की शिकायत कुछ सालों पहले भी की गई थी जब चीनी कंपनियों पर पावर जेनरेशन इक्विपमेंट के भारतीय सप्लायर्स जैसे भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लि. को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा था।

पावर ट्रांसमिशन सेक्टर में गैस इंसुलेटिड सबस्टेशन उपकरणों का एक अहम सेट है। इनकी मैन्युफैक्चरिंग भारतीय कंपनियों जैसे एबीबी, सीमंस और आल्सटोम टी ऐंड डी इंडिया करती हैं। इन कंपनियों को अब चीन और दक्षिणी कोरिया के सस्ते सबस्टेशन से कड़ी टक्कर मिल रही है।

इंडियन इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में एक ऐग्जिक्युटिव ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सस्ते आ रहे सामान की क्वॉलिटी संदिग्ध है। उन्होंने बताया, ‘भारत में कड़े नियम नहीं हैं और आसानी से यहां सामान की सप्लाई की जा सकती है, खासकर 400 केवी की कैटिगरी में। इसलिए पूर्वी एशिया के मैन्युफैक्चर्रस के लिए भारत का पावर सेक्टर ऐसा मार्केट बन गया है जहां कुछ भी बेचा जा सकता है जबकि घरेलू मैन्युफैक्चर्रस को बेहतर क्वॉलिटी के प्रॉडक्ट तैयार करने के बावजूद कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है।’

2005-06 और 2013-14 के बीच में भारत में इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट का आयात 19.73 फीसदी बढ़कर 58,354 करोड़ रुपये हो गया है। इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट में चीन की भागीदारी 2013-14 में बढ़कर 40 फीसदी हो गई है जो 2005-06 में 15.26 फीसदी थी। सस्ते आयात के कारण स्थानीय ट्रांसमिशन एवं डिस्ट्रिब्यूशन इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अपनी क्षमता से 70 फीसदी से भी कम ऑपरेट हो रहा है।

 

Source – Times of india

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