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महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा , जानिए क्या है राज्य विधानसभा का अंकगणित

भारतीय जनता पार्टी ने अपना समर्थन लिया वापिस :

जम्मू-कश्मीर की महबूबा सरकार से भारतीय जनता पार्टी ने अपना समर्थन वापिस ले लिया है। महबूबा की पार्टी पीडीपी से गठबंधन तोड़ने के ऐलान के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया जाए। इस बीच महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राम माधव ने पीडीपी को कोसते हुए उसी राज्य सरकार पर हमला बोला जिसका हिस्सा पिछले चार साल से वो खुद थे।

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नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की सहमति के बाद गठबंधन तोड़ने पर किया गया फैसला  :

उन्होंने कहा कि जनता के जनादेश को ध्यान में रखकर हमने जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ सरकार चलाने का निर्णय लिया था। लेकिन पीडीपी-बीजेपी गठबंधन को लेकर आगे चलना संभव नहीं हो रहा था। भारतीय जनता पार्टी महासचिव राम माधव ने कहा,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की सहमति के बाद गठबंधन तोड़ने पर फैसला किया गया।

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आपको बता दें कि 2014 में 25 नंवबर से 20 दिसंबर के बीच 87 सीटों के हुए विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर पीडीपी उभरी थी। उसके बाद दूसरे नंबर की पार्टी बीजेपी थी जिसके पास 25 सीटें थी। 15 सीटें जीत कर उमर अब्दुल्ला की अगुवाई वाली नेशनल कांफ्रेंस तीसरे नंबर पर थी और कांग्रेस के हिस्से आई थीं कुल 12 सीटें।

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बीजेपी-पीडीपी गठबंधन के लिए कितनी सीटों की थी जरूरत :

राज्य में सरकार बनाने के लिए 44 सीटों की आवश्यकता थी। जिसे बेमेल कहे जाने वाले बीजेपी-पीडीपी गठबंधन ने पूरा किया। बीते करीब साढ़े तीन सालों से ये दोनों पार्टी राज्य पर शासन कर रही हैं।

दोनों पार्टियों के बीच संबंध कभी सामान्य नहीं रहे। दोनों तरफ से तनातनी वाले बयान सामने आते रहे हैं। दिल्ली के राजनीतिक जानकारों ने तो हमेशा इस गठबंधन को एक दुसरे उपर ब्यान बाजी  ही करते पाया है।

अब क्या है अंकगणित

बीजेपी-पीडीपी की सरकार गिरने के बाद अब जो राज्य में अंकगणित बन रहा है उसके हिसाब कांग्रेस की स्थिति बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। अब अगर कर्नाटक की तर्ज पर कांग्रेस किसी गठबंधन के लिए आगे बढ़ती है तो उसे राज्य की दोनों क्षेत्रीय पार्टियों का सहयोग चाहिए होगा। हालांकि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस राज्य की राजनीति में चिरप्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं।

लेकिन देश के अन्य राज्यों में जिस तरह पुराने विरोधी बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए साथ आ रहे हैं, ये उम्मीद की जा सकती है कि कश्मीर में भी पुराने दोस्त एक हो जाएं। पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस को साथ लाने में कांग्रेस की भूमिका बेहद असरदार हो सकती है।

भाषा से इनपुट 

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