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पांच सोमवार इस सावन दिखाएंगे भोलेनाथ चमत्कार 2

पांच सोमवार इस सावन दिखाएंगे भोलेनाथ चमत्कार

सोमवार से शुरू होकर सोमवार के दिन रक्षाबंधन के साथ समाप्त होने वाला सावन का महीना शिव भक्तों के लिए इस बार खास होगा। महीने में पांच सोमवार व्रत का फल भी मिलेगा। शिव मंदिरों में माह भर चलने वाले शिवार्चन के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।

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सावन का पहला एवं तीसरा सोमवार

10 और 24 जुलाई को सावन का पहला एवं तीसरा सोमवार अति महत्वपूर्ण है। क्योंकि सावन का आरम्भ नंदा तिथि के साथ प्रथम सोमवार से हो रहा है। नंदा तिथि सभी शुभ कार्याें के लिए शुभ मानी जाती है। इसके व्रत के देवता अग्नि हैं। प्रथम सोमवार को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने के कारण शुभ फल देने वाला है एवं तृतीय सोमवार को पुष्य नक्षत्र होने के कारण अति विशेष फल देने वाला है। विशेष बात यह भी है कि इन दोनों सोमवारों को सर्वाथसिद्ध योग एवं सिद्धि योग का विशेष सहयोग है। सिद्धियां प्राप्त करने की दृष्टि से यह दोनों सोमवार अति विशेष हैं। इसमें अकाल मृत्यु निवारण, रोग मुक्ति एवं पारिवारिक सुख समृद्धि के लिए किये गये अनुष्ठान एवं पूजा पाठ का कई गुना फल प्राप्त होगा।

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सावन का दूसरा और चौथा सोमवार

17 एवं 31 जुलाई को सावन का अष्टमी तिथि को पड़ने वाला दूसरा एवं चतुर्थ सोमवार अति विशेष है। क्योंकि अष्टमी जया तिथि के व्रत के देवता शिव हैं। इस कारण शिव जी की भक्तों पर विशेष कृपा रहेगी। इन सोमवारों को प्रथम अशिवनी नक्षत्र एवं स्वाति नक्षत्र रहने के कारण विशेष फल की प्राप्ति होगी। इस दिन शुभ योग का बनना भी अति विशेष है।

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सावन का पांचवां एवं अन्तिम सोमवार

7 अगस्त को सावन माह का पांचवां एवं अन्तिम सोमवार अति विशेष है। क्योंकि इस सोमवार को पूर्णातिथि में श्रवण नक्षत्र होने के कारण श्रावणी पूर्णिमा है। जो सर्व कार्य सिद्धि करने वाली होती है। पूर्णातिथि के देवता चन्द्र हैं, चन्द्र शिव जी को अति प्रिय हैं। अतः यह दिन चन्द्र दोष निवारण के लिए अति विशेष है। इस दिन सोमवार को श्रवण नक्षत्र होने के कारण बनने वाला ”सिद्धि योग“ साथ ही सर्वाथसिद्ध योग, अमृत योग, होने के साथ इस सोमवार को रात्रि श्रवण नक्षत्र पर चन्द्र ग्रहण होने के कारण यह सोमवार कुछ ज्यादा महत्वपूर्ण है। श्रवण नक्षत्र अपने आप में पूजा पाठ का शुभ फल देने में सक्षम है। इस सोमवार को अपरान्ह 01: 52 बजे से ग्रहण का सूतक लग जायेगा। इसके बाद मंदिर के कपाट बन्द हो जायेंगे। पूजा निषेध होगी।

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पूजा का समय

प्रातः 6 से 07: 30 बजे तक प्रातः 9 से 10:30 बजे तक अपरान्ह 3 से सांय 07: 30 बजे तक

 

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